Thursday, September 16, 2010

Don't worry I’ll get over you!!

The more I know you,
The more I find
Now that I know more
Who am I.
I am the moon of
Cool dark nights,
And you are the sun of my
Blue warm sky.

Now people find me happy,
And people find me bright
But its all your reflection,
What they call my moonlight
Every time I look at you,
You stun my eyes
Your smile is the reason why I
Smile and shine.

I wish that you could see the sea
It’s love that’s in my heart
It tides, when far or close to you
As heart starts beating fast
Thousand stars surround me but
One thing you should know
Nothing but your presence is what
Always makes me glow.

I always wander round the globe,
I wake up all the nights,
Just to catch a glimpse of you,
To keep you in front of eyes.
You don’t have to trust my words,
Reject them all as lies.
But if ever want to know the truth
Just ask the fireflies.

I know that we can never meet
No matter how I try.
Also I know fairly well that
We’re days and nights.
But you shouldn’t ever worry for me
Always stay as you are
For me; I’ll get over you
Let forever pass!!

Friday, August 27, 2010

आज आपने आईने में क्या देखा?

आज आपने आईना (mirror) देखा था ना? अगर आप अभियांत्रिकी (engineering) के छात्र नहीं हैं या आप किसी छात्रावास (hostel) में रहने वाले लड़के नहीं हैं तो आपने सुबह उठ कर आईना ज़रूर देखा होगा| तो आज आपने आईने में क्या देखा? अपना चेहरा? आँख, नाक, कान, मुँह? खुद को देख कर क्या सोचा? याद कीजिये… सुन्दर, बेकार, “एक मुंहासा! नहीं..”, या फिर कुछ नहीं? कोई बात नहीं| आराम से सोच लीजिए!


जब तक आप सोचें मैं आपको बताना चाहता हूँ कि भगवान बहुत शरारती हैं| उन्होंने पूरी दुनिया बनाई| कितना अच्छा होता अगर हर पैदा होने वाली चीज़ पैदा होती, आराम से खाती, पीती और आराम से दुनिया से रुखसत हो जाती| पर नहीं… भगवान जी को यह कहाँ मंज़ूर था? उन्होंने बनाया अपना सबसे बुद्धिमान, और शानदार शाहकार - इंसान!! पर अपनी फितरत से लाचार भगवान ने इंसान में कुछ बड़े मजेदार प्रयोग किये|


भगवान ने सबसे पहले इंसान के शरीर के दो भाग किये| एक गर्दन के ऊपर, दूसरा गर्दन के नीचे|
गर्दन के नीचे के भाग में पैरों के ठीक ऊपर पेट रखा और हाथों को भी नीचे के भाग में रखा| गर्दन के ऊपर के भाग में भी बहुत गौरतलब चीज़ें की| उन्होंने इंसान के चेहरे में आँख, कान, मुँह सब बहार रखा मगर… दिमाग को छुपा कर सिर के अंदर रख दिया| आँख, कान और मुँह का आपस कोई सम्बन्ध नहीं रखा| सबसे मजेदार… मुँह को सीधे पेट से जोड़ दिया|


अब भगवान ने तो सोचा था की सभी जानवरों में भी यही संरचना होती है| क्या पता विकसित दिमाग देने से इंसान विकास की नयी ऊँचाई छू ले| लेकिन इसका जो असर हुआ, उसकी कल्पना भगवान ने भी नहीं की थी|


मुँह, हाथ, पैरों के दिमाग की जगह पेट से ज्यादा जुड़े होने से इंसान तब ही काम करने लगा जब उसे भूख लगती| चाहे वो भूख कैसी भी हो…अमुक काम करने लायक है या नहीं सोचना छोड़ दिया| वो काम ही ठीक जो भूख मिटाए! काम करने से पैसे और पेट की भूख मिटेगी| अपने से कमज़ोर को दबा दो, बल के मद की भूख मिटेगी| बोलना वही जिससे पेट को फायेदा हो| अपने से ऊंचे ओहदे वाले की तारीफें करो, पैसे और पद की भूक मिटेगी| लोगों को आपस में भड़का दो सत्ता की भूख मिटेगी|


पर हाथ पैरों और मुँह का आँख, कान से कोई लेना देना नहीं| इसीलिए तो इंसान तब तक कुछ नहीं बोलता करता जब तक उसके पेट पर वार नहीं होता| चाहें आँखों के सामने कुछ भी होता रहे, हम ना बोलते हैं, न कुछ करते हैं| कोई कुछ भी बोलता रहे, ना हम कुछ कहते हैं और ना कुछ करते हैं|



पैदा होने से मरते दम तक इंसान जब भी खुद को आईने में देखता या दुसरे इंसानों को देखता तो उसे सिर्फ आँख, कान, मुँह दिखते पर दिमाग उसे कभी नहीं दिखता… उसको लगने लगा की उसके चेहरे में तो सिर्फ यही सब है| धीरे धीरे वो भूलता गया की दिमाग भी तो उसके पास है! उसे जो दिखता उसे ही सच मानने लगा, जो सुनाई देता उसे ठीक मानने लगा और जो मुँह में आया बोलने लगा| हम जब भी अपनी गर्दन के नीचे देखते हैं हमें एहसास होता है की हमारा एक पेट है| हम मोटे होते जा रहे हैं या पतले! आज ज्यादा खाया या कम! पर कभी चेहरा देखते हुए यह नहीं सोचते की “हे! इन घने बालों के नीचे सिर में छुपा एक शानदार दिमाग भी है जिसको इस्तेमाल भी कर सकते हैं!!!!!!!”


यही तो कारण है कि आजकल दोस्ती, रिश्ते, भरोसा, प्यार देखने - सुनाने से बनाने और टूटने लगे हैं| बरसों का भरोसा, रिश्ता महज़ किसी के कुछ कहने से ही टूट जाता है| जो दिखाई देता है उसको जस का तस सच मान कर काम करने लगते हैं| क्या कहा गया, क्या दिखाई दिया, उसके बारे में थोडा भी सोचना छोड़ दिया| बिना सोचे समझे मुँह खोलना शुरू कर दिया| अत्याचार सहने लगे, अत्याचार करने लगे| दूसरे कि मदद करने का ख्याल तब ही आता है जब तक आगे खुद का फायेदा ना हो|



और फिर लोग कहते हैं कि इंसान कितना बुरा है! अरे भाई जब भगवान ने उसे ऐसा बनाया तो इसमें बेचारे इंसान कि क्या गलती? गलती तो भगवान कि ही है ना… उन्होंने अपने मज़े के लिए बेचारी दुनिया को बर्बाद कर दिया| इंसान बना दिया!! अगर ऐसा ना होता तो इतना शानदार दिमाग होने के बावजूद छुपा कर क्यूँ रखा?? आँखें भी तो बहुत नाज़ुक होती हैं और ना भगवान के पास ठोस पारदर्शी चीज़ कि कमी रह गयी थी| फिर क्यूँ आँखें खुली और इतनी असुरक्षित छोड़ दी|


खैर यह सब बातें छोडिये… यह बताइए याद आया कि आज आपने आईने में क्या देखा??? अपना चेहरा? आँख, नाक, कान, मुँह?

Monday, February 15, 2010



ना उनकी कहानी जानता है,

ना उनके फसानों को जाना ;

आब-ऐ-रूह में जो अक्स बना,

बस उसे हकीक़त मान लिया |




था पता ज़रा नादान है दिल,

पर निकला ये बेईमान बड़ा ;

उस अक्स को पल भर ही देखा,

एक ही नज़र में खुद को हार गया |


Thursday, February 4, 2010

सुख सपनों से ओझल

खोया था खुद ही अपने में
राहों में, अपने सपनों में
सुबह की किरणों के धागों से
कुछ ख्वाब बुना करता था|

दो पल जो बैठा आँगन में
चांदनी भरने आँखों में
एक सपना मेरी तिजोरी से
आँख को कोसा करता था|

सोचा था, रात अँधेरा है
हर एक पथिक को रोका है
सोचा था रात में बस तारे हैं
पर वो कब मेरा मकसद थे?

जब चुरा गया कोई इस अम्बर से
रात की ढलती मदहोशी में
एहसास हुआ इन तारों में
एक चाँद हुआ करता था|

वो चाँदनी अब भी फैली है
शीतलता अब भी बहती है
उठे ज्वार यहाँ की दूजे घर में
वो चाँद खिला करता है|

है पता मुझे की ज्वार उठा
हुई आहट; कि और एक बाँध बना
गर छिटकी चाँदनी आँगन में
सब सपने नींद से ढक देंगे|

उस चाँद पर मेरा हक ही क्या
न अपनाई जिसकी आभा
आज गगन के विस्थापन पर
क्यूँ ये मन व्यथित होता है?

चाहूं उस बाँध में एक दरार
वो चाँद इस आँगन में संवार
पर जानूं नियति की कुटिल चाल
सपने घेरेंगे फिर एक बार|