जब तक आप सोचें मैं आपको बताना चाहता हूँ कि भगवान बहुत शरारती हैं| उन्होंने पूरी दुनिया बनाई| कितना अच्छा होता अगर हर पैदा होने वाली चीज़ पैदा होती, आराम से खाती, पीती और आराम से दुनिया से रुखसत हो जाती| पर नहीं… भगवान जी को यह कहाँ मंज़ूर था? उन्होंने बनाया अपना सबसे बुद्धिमान, और शानदार शाहकार - इंसान!! पर अपनी फितरत से लाचार भगवान ने इंसान में कुछ बड़े मजेदार प्रयोग किये|
भगवान ने सबसे पहले इंसान के शरीर के दो भाग किये| एक गर्दन के ऊपर, दूसरा गर्दन के नीचे|
गर्दन के नीचे के भाग में पैरों के ठीक ऊपर पेट रखा और हाथों को भी नीचे के भाग में रखा| गर्दन के ऊपर के भाग में भी बहुत गौरतलब चीज़ें की| उन्होंने इंसान के चेहरे में आँख, कान, मुँह सब बहार रखा मगर… दिमाग को छुपा कर सिर के अंदर रख दिया| आँख, कान और मुँह का आपस कोई सम्बन्ध नहीं रखा| सबसे मजेदार… मुँह को सीधे पेट से जोड़ दिया|
अब भगवान ने तो सोचा था की सभी जानवरों में भी यही संरचना होती है| क्या पता विकसित दिमाग देने से इंसान विकास की नयी ऊँचाई छू ले| लेकिन इसका जो असर हुआ, उसकी कल्पना भगवान ने भी नहीं की थी|
मुँह, हाथ, पैरों के दिमाग की जगह पेट से ज्यादा जुड़े होने से इंसान तब ही काम करने लगा जब उसे भूख लगती| चाहे वो भूख कैसी भी हो…अमुक काम करने लायक है या नहीं सोचना छोड़ दिया| वो काम ही ठीक जो भूख मिटाए! काम करने से पैसे और पेट की भूख मिटेगी| अपने से कमज़ोर को दबा दो, बल के मद की भूख मिटेगी| बोलना वही जिससे पेट को फायेदा हो| अपने से ऊंचे ओहदे वाले की तारीफें करो, पैसे और पद की भूक मिटेगी| लोगों को आपस में भड़का दो सत्ता की भूख मिटेगी|
पर हाथ पैरों और मुँह का आँख, कान से कोई लेना देना नहीं| इसीलिए तो इंसान तब तक कुछ नहीं बोलता करता जब तक उसके पेट पर वार नहीं होता| चाहें आँखों के सामने कुछ भी होता रहे, हम ना बोलते हैं, न कुछ करते हैं| कोई कुछ भी बोलता रहे, ना हम कुछ कहते हैं और ना कुछ करते हैं|
पैदा होने से मरते दम तक इंसान जब भी खुद को आईने में देखता या दुसरे इंसानों को देखता तो उसे सिर्फ आँख, कान, मुँह दिखते पर दिमाग उसे कभी नहीं दिखता… उसको लगने लगा की उसके चेहरे में तो सिर्फ यही सब है| धीरे धीरे वो भूलता गया की दिमाग भी तो उसके पास है! उसे जो दिखता उसे ही सच मानने लगा, जो सुनाई देता उसे ठीक मानने लगा और जो मुँह में आया बोलने लगा| हम जब भी अपनी गर्दन के नीचे देखते हैं हमें एहसास होता है की हमारा एक पेट है| हम मोटे होते जा रहे हैं या पतले! आज ज्यादा खाया या कम! पर कभी चेहरा देखते हुए यह नहीं सोचते की “हे! इन घने बालों के नीचे सिर में छुपा एक शानदार दिमाग भी है जिसको इस्तेमाल भी कर सकते हैं!!!!!!!”
यही तो कारण है कि आजकल दोस्ती, रिश्ते, भरोसा, प्यार देखने - सुनाने से बनाने और टूटने लगे हैं| बरसों का भरोसा, रिश्ता महज़ किसी के कुछ कहने से ही टूट जाता है| जो दिखाई देता है उसको जस का तस सच मान कर काम करने लगते हैं| क्या कहा गया, क्या दिखाई दिया, उसके बारे में थोडा भी सोचना छोड़ दिया| बिना सोचे समझे मुँह खोलना शुरू कर दिया| अत्याचार सहने लगे, अत्याचार करने लगे| दूसरे कि मदद करने का ख्याल तब ही आता है जब तक आगे खुद का फायेदा ना हो|
और फिर लोग कहते हैं कि इंसान कितना बुरा है! अरे भाई जब भगवान ने उसे ऐसा बनाया तो इसमें बेचारे इंसान कि क्या गलती? गलती तो भगवान कि ही है ना… उन्होंने अपने मज़े के लिए बेचारी दुनिया को बर्बाद कर दिया| इंसान बना दिया!! अगर ऐसा ना होता तो इतना शानदार दिमाग होने के बावजूद छुपा कर क्यूँ रखा?? आँखें भी तो बहुत नाज़ुक होती हैं और ना भगवान के पास ठोस पारदर्शी चीज़ कि कमी रह गयी थी| फिर क्यूँ आँखें खुली और इतनी असुरक्षित छोड़ दी|
खैर यह सब बातें छोडिये… यह बताइए याद आया कि आज आपने आईने में क्या देखा??? अपना चेहरा? आँख, नाक, कान, मुँह?