" मुखौटे ले लो मुखौटे... मुखौटे ले लो"
"अरे ओ मुखौटे वाले भाई साब... ज़रा इधर आना"
"जी बाबूजी, कहिये, कौन सा मुखौटा दूं आपको? एक से एक उम्दा माल है मेरे पास... देख के दिल खुश हो जाएगा!!"
"अरे नहीं, मुझे मुखौटा नहीं चाहिए..."
"बाबूजी एक बार देख तो लो! मेरे पास कई तरह के मुखौटे हैं, कई तरह के चेहरे हैं.... रोते, हँसते, दोस्त के, दुश्मन के....."
"भाई, मुझे मुखौटा नहीं लेना. मुझे तो बस ये पता पूछना है. आप जानते हैं इस पते पर जाने का रास्ता क्या है?"
सच्चाई गली,
शराफत मोहल्ला,
जिला - साफ़ दिल
"पर बाबूजी, वहाँ आपका कौन रहता है?"
"वहाँ?? वहाँ तो मेरे दोस्त, भाई, रिश्तेदार, हमदर्द, बहुत लोग रहते हैं. तुम्हें उससे क्या फर्क पड़ता है? तुम बताओ तुम्हें रास्ता पता है या नहीं?"
"अरे बाबूजी मुझे क्या फर्क पड़ेगा. मैने तो बस ऐसे ही पुछा. मुझे बस लगा जैसे आप चेहरा पहनना भूल गए हैं."
"चेहरा पहनना भूल गए हैं? क्या मतलब है तुम्हारा?"
"बाबूजी, आप क्या सड़क पर पहली बार निकले हो?"
"हाँ, मैं इन राहों से थोडा अनजान हूँ."
"तभी बाबूजी आपको सड़क की चाल और मोड़ों के बारे में नहीं पता. चेहरों के बारे में नहीं पता. आप जिस तरह, बिना कोई चेहरा पहने अपने दोस्तों हमदर्दों को ढूँढने निकले हैं, आपको उन्हें ढूँढने में बहुत देर लगने वाली है...... हो सकता है न भी मिलें!"
"क्यूँ?"
"आप जिस जगह पर उन्हें खोजने जा रहे हैं वहाँ तो अब शायद ही कोई रहता है बाबूजी. वो गलियां छोड़ कर सब चले गए."
"क्या? क्या कह रहे हो? मैने तो सुना था वहां अब भी लोग रहते हैं. मैने उनके बारे में कहानियों में सुना है, घर, मंदिर, स्कूलों में लगी तस्वीरों में उन्हें देखा है और किताबों में पढ़ा है. वो आज भी जिंदा हैं"
"मेरी बातों पर यकीन न आये तो लीजिये, ये एक कामयाब इंसान का चेहरा............ ज़रा पहन के तो देखिये."
"............................. .... अरे...................... लो वो देखो, जिन लोगों को मैं ढूंढ रहा था वो तो मेरे पास ही चले आ रहे हैं!!! मेरे दोस्त, मेरे रिश्तेदार.... हा हा हा, मुखौटेवाले, लगता है तुम्हारा यह चेहरा मेरे लिए बहुत अच्छा है....................... एक मिनट रुको............... एक और श्रीमान मेरे पास आ रहे हैं........................ अरे, एक और!!.......................... . और एक............................ ....... और एक...................... ये तो पूरी की पूरी भीड़ ही मेरी तरफ दौड़ी आ रही है!!!! देखा, और तुम कहते थे कि "सच्चाई गली" में कोई नहीं रहता. सब के सब तो यहाँ हैं, सब यहीं हैं! .................... अरे! कहीं यही "सच्चाई गली" तो नहीं?? हाँ, यही वो जगह है. हाँ, हाँ बिल्कुल यही वो जगह है! मुखौटेवाले, तुम एकदम मूर्ख हो. न जाने क्या क्या कह रहे थे. तुम तो इस जगह के बारे में कुछ नहीं जानते. यही तो वो जगह है जहाँ मेरे दोस्त, मेरे सच्चे साथी रहते हैं!
"बाबूजी, अब ज़रा यह चेहरा हटा के देखो क्या होता है!?!"
"मुखौटेवाले, तुम भी बड़े अजीब हो! ऐसा क्या हो जाएगा इसे हटाने से. और वैसी भी, मुझे जिनसे मिलना था वो तो मुझे मिल ही गए हैं! फिर भी तुम कहते हो तो हटा देता.......................... ....... अरे....................... हे..!!!!....... दोस्तों!!!!............ भाई...................... अरे तुम सब कहाँ जा रहे हो? मुझसे दूर क्यूँ जा रहे हो? क्या हो गया है तुम सबको???? अभी दो घडी पहले तो तुम सब मेरे पास आना चाहते थे. अभी क्या हुआ तुम सबको???...... मुक-मुक-मुखौटेवाले...... ये... ये सब क्या हो रहा है?"
"मैं आपको समझाता हूँ. बाबूजी यह बताइए, आपको चारों ओर क्या दिख रहा है?"
"लोग ही लोग हैं, पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा!"
"बाबूजी, आप भी धोखा खा गए ना! ये इतनी प्यारी सी, सुन्दर सी दिखने वाली दुनिया और कुछ नहीं बस एक कंक्रीट का एक जंगल है! इस जंगल में भटकने वाले और कोई नहीं इंसान के मुखौटे पहने जानवर हैं. ये वही जानवर हैं जिन्होंने साफ़ दिल और सच के गलियारों में रहने वाले इंसानों को डरा धमका कर भगा दिया है. ये दिन में एक नहीं, दो नहीं हजारों मुखौटे बदलते हैं. जिससे मिले, जिससे जैसा काम निकला, उसके मुताबिक चेहरा. जब तक आपके पास एक कामयाब इंसान का चेहरा था ये जानवर दोस्तों, भाई, रिश्तेदारों और हमदर्दों का चेहरा पहन कर आपके पास आ रहे थे. आपका असली चेहरा देख कर सबने मुंह मोड़ लिया."
"तो.... तो क्या अब वहाँ कोई दोस्त, कोई रिश्तेदार, कोई - सच्चा - इंसान नहीं रहता?"
"नहीं बाबूजी... किताबें, दादी - नानी की कहानियां, घर, स्कूलों में लगी वो तस्वीरें कभी झूठी नहीं हो सकती. बस ज़रुरत है तो उन लोगों को ठीक से खोजने की. कभी न कभी वो लोग आपको मिलेंगे. कितना वक़्त लगेगा, कोई नहीं कह सकता. आपका सच्चा साथी वही होगा जो बिना कामयाबी के चेहरे के आपके पास आये!"
"शायद तुम ठीक कहते हो, मुखौटेवाले. शायद तुम ठीक कहते हो........ पर मैं तो चला था एक साथी, एक दोस्त, एक रिश्तेदार को ढूँढने. मैं अपनी इस तलाश के लिए कब तक भटकूँ? कहीं मैं ऐसे ही सच्चाई की गलियों में हमेशा के लिए अपनी खोज में भटकता रह गया तो? अगर मुझे कभी वो लोग नहीं मिल पाए तो?........................... अगर कामयाबी के चेहरे से मुझे दोस्त, साथी मिलते हैं तो इसमें बुरा क्या है? ज़रुरत है तो बस एक कामयाबी के चेहरे की . जब तक वो चेहरा मेरे पास है, मेरे साथी मेरे साथ हैं, मेरे पास दोस्त होंगे, सारे लोग मेरे साथ होंगे. उन सबके पास सच के चेहरे होंगे! मेरी खोज पूरी होगी. चाहिए तो बस एक कामियाब चेहरा!!!...................... ... मुखौटेवाले, क्या तुम मुझे वो कामयाबी वाला चेहरा दोगे? मैं तुम्हें हर कीमत देने को तैयार हूँ. तुम जो चाहो करने को तैयार हूँ!"
"हा हा... क्यूँ नहीं बाबूजी, मेरा तो काम ही मुखौटे बेचना है. पर जब आप इस मुखौटे के लिए कुछ भी करने को राज़ी हैं, तो बस मेरे लिए आप एक काम करना और मुखौटा ले जाना"
"हाँ हाँ, मैं कुछ भी करूंगा. मुझे बस वो मुखौटा चाहिए. मुझे बस कामयाबी का चेहरा चाहिए. बोलो मुझे क्या करना है?"
"ये लो मुखौटा बाबूजी..... बस आपको ये याद रखना है की यह मुखौटा हमेशा ठीक से पहनना है. ढीला नहीं. यह कभी गिरे नहीं. आईने के सामने जा के पहनिए इसे!"
"बस इतनी सी बात? इस चेहरे को मैं कभी गिरने नहीं दूंगा! पक्का.................. आइना कहाँ है? ज़रा ध्यान से पहनूं इसको.............. अहा, यह रहा आइना..................... न...न... नहीं ..... नहीं, ये नहीं हो सकता ........ मुखौटेवाले, ये नहीं हो सकता. मेरा.. मेरा ... मेरा अपना चेहरा??? मैं... मैं एक जानवर..................."
"मुखौटे वाला.... मुखौटे ले लो मुखौटे........................ .....!!!!
मुखौटे ले लो... मुखौटे............
पसंद है अब तो सबको चेहरे,
सहते - देते धोके पे धोके.
बोला दुनिया को बुरा भला पर
कभी न देखा अपना चेहरा!!"
पसंद है अब तो सबको चेहरे,
सहते - देते धोके पे धोके.
बोला दुनिया को बुरा भला पर
कभी न देखा अपना चेहरा!!"
Gud work... hope har koi apna mukhotaa nikaal ke dosti kare :)
ReplyDeleteMind blowing....and so close to reality.
ReplyDeleteNice one Abhishek :)
ReplyDeletewhat a post.. a bitter truth.. nicely put into story... real real nice write up abhi!!
ReplyDeletenic work man
ReplyDeleteawesome work
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