Sunday, May 12, 2013

किस्सा आधार कार्ड का...

आज सुबह सुबह 9 बजे हमारे प्रिय जस्सी (जसप्रीत सिंह ढींगरा) जी की कृपा से 4 निठल्ले लोगों, मैं, ऋषभ, नित्य और जस्सी खुद, का थोडा कल्याण हुआ और सबने आधार कार्ड के लिए आवेदन भर दिया| पर इस प्रक्रिया में जो जो घटित हुआ उसका व्यख्यान करना मेरे सामर्थ्य के बहार है| फिर भी प्रस्तुत हैं उस ज़बरदस्त उधेड़ बुन के कुछ मुख्य अंश -

1. आधार कार्ड केंद्र के अन्दर जाने की कतार में एक घंटे खड़े अन्दर जाने का इंतज़ार -

नित्य      :     "यार पिछले 4 हफ्ते से motorcycle नहीं ले पा रहा हूँ| फ़ोन करके पुछा है|
                     आज दुकान 1 बजे तक खुलेगी| 1 बजे तक तो काम हो ही जाएगा| आज तो bike ले ही लूँगा"
ऋषभ      :     "नित्य, आज तो ना आ रही आपकी bike|"

जब हम लोगों की बारी आई तो सबसे पहले नित्य के दस्तावेज जांचे गए| प्रतिलिपि (copy) और मूल प्रति (original) दोनों की जांच के बाद जस्सी के दस्तावेज़ जांचे गए| मेरी बारी आने पर ~55 साल के जांचकर्ता बोले -
"आपके पास original papers तो होंगे ही| अब इतने लोग लाइन में खड़े हैं| सबका कब तक check करेंगे!"

2.
10 बजे
जस्सी को 22वां स्थान पर, नित्य को 23, मुझे 24 और ऋषभ को 25वें स्थान पर अपने अपने उँगलियों के निशान, photo और iris scan करवाने थे| थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद पता चला की एक भी कर्मचारी काम पर नहीं है| हम सबका पारा चढ़ने लगा ही था की हमें एहसास हुआ की जस्सी का पारा पहले ही उबल चुका था| ज्वालामुखी किसी भी समय फट सकता था|

3.
10:30 बजे
हैदराबाद के आधार कार्ड के कर्ता धर्ता को फ़ोन पर शिकात की गयी| इतने में एक operator, जो शायद रविवार के दिन रास्ता भटक कर centre पर आ गयी थी, उसे एहसास हुआ की शिकायत हो रही है| तुरंत जस्सी को बुला कर -

operator   :      "Sir,  क्या कर रहे हैं आप? आप कहें तो आपका काम पहले कर देती हूँ|"
जस्सी       :     "यह क्या बात हुई? हमसे पहले जो बैठे हैं उन्होंने क्या बिगाड़ा है?
                        बाकी खाली पड़े 3 कंप्यूटर पर कोई अभी तक क्यूँ नहीं है?"

ज्वालामुखी धधक रहा ही था

दूर बैठे बाकी हम तीन|
ऋषभ       :       "हाहा अभी इन सबकी बैंड बजने वाली है| Yo जस्सी"
नित्य       :       "मुझे तो डर है किसी को चपेट ना मार दे"

शिकायत दर्ज हो गयी| तब तक 9वें व्यक्ति का काम चल रहा था| हम चारों बगल की दूकान पर गन्ने का जूस पीने चल दिए|

ऋषभ       :       "कुछ भी कहें APSC, सरकारी नौकरी का अपना ही टशन है|"

4.
11 बजे: करीब 20 मिनट बाद, जूस पी के, पानी ले कर वापस आये|

"भैया जी, कौन सा नंबर चल रहा है?"
"9वां नंबर चल रहा है"

जस्सी       :       "चलो भाई, time  लगेगा, cafe nandini  से कुछ खा के आते हैं"
नित्य        :       "चलो भाई| फिर यहाँ से कार्ड का काम हो जाए, फिर bike लेने जायेंगे|"
ऋषभ        :      "नित्य, आज तो ना आ रही आपकी bike|"

5.
11:45 cafe nandini से वापस आ कर आराम से खा पी के वापस आये| ऋषभ की गलती, उसने कुछ नहीं खाया|
हमारी शिकायत का थोडा असर हुआ|  कोई एक नया officer जाएजा ले रहा था|
ऋषभ        :       "कितना number चल रहा है?"
कर्मचारी    :       "अभी तो HSBC वालों का बन रहा है|"
ऋषभ        :       "HSBC??? ये कहाँ से आये? ये चल क्या रहा है???"
कर्मचारी    :       "अभी HSBC वालों का बन रहा है|"
ऋषभ        :       "आप सरकारी कर्मचारी हैं या  HSBC की?"
कर्मचारी    :       "सर आप उनसे  (वही 55 साल के जांचकर्ता| शायद 55 साल की सरकारी नौकरी में उन्हें
                         random  काम को भी justify करने की कला आ गयी थी) उनसे बात करो|"
ऋषभ (जांचकर्ता के पास जा कर)
                :        "Uncle, भूख लगी है|"
जांचकर्ता  :         ??????????? ( ऋषभ को घूरने लगा)

शायद HSBC वालों ने अपने employees के आधार कार्ड के लिए मुहीम चलायी होगी|
तभी नित्य, जस्सी का प्रवेश -

नित्य      :        "अब यहाँ से सीधा bike लेने चलते हैं|"
जस्सी     :        "कौन सा number चल रहा है?"
"11 number तक हुआ है| अभी HSBC वालों का हो रहा है"

बस, फट पड़ा ज्वालामुखी| 
थोड़ी दूर पर जवालामुखी की गर्मी महसूस करते हुए-


ऋषभ       :      "हाहा अभी इन सबकी बैंड बजने वाली है| Yo जस्सी"
नित्य        :      "मुझे तो डर है किसी को चपेट ना मार दे"


जस्सी       :      "ये क्या चल रहा है| इतना धीरे काम| अब भी इन कंप्यूटर पर कोई नहीं बैठा है|
                        आप complain book लाओ| जो जो नहीं हैं हमें उनके against complain करनी है|"
Officer      :      "अरे सर, अभी एक और operator  आ रहा है| वो आज आया नहीं इसलिए थोडा लेट हो गया|"
जस्सी       :      "हाँ तो जो नहीं आया हमें उसके against complain करनी है|"
Office       :      "आप तो नाराज़ हुए जा रहे हैं| हमने सच बताया तो आप और गुस्सा हो रहे हैं| यूँ तो हम झूठ भी बोल सकते थे|"

(सभी सकते में - ये क्या था)

जस्सी (6ft 3in से 6ft 5in हो कर) "तो तुम हमसे झूठ भी बोल सकते हो!!!!!"
बाकी लोग  :     "Sir Sir Sir, नहीं ऐसी बात नहीं है|"
Officer       :      "Sir, वो operator आ रहा है| इन सब कामो में थोडा टाइम लगता है|"
ऋषभ (जो शायद cafe nandini में ना खा कर पछता रहा था)
                  :      "टाइम लगता है तो यहाँ एक Food Counter क्यूँ नहीं खुलवा देते हो?"

(2 मिनट तक सन्नाटा छाया रहा| ऋषभ के बोल सुनामी की तरह आये और सारे logics की तबाही मचा के निकल गए| जब तक जस्सी और नित्य इस सदमे से उबरते तब तक देर हो गयी थी| officer भी वहां से निकलने लगा)

जस्सी      :     "ये कोई बात है? हम यहाँ इतनी देर से बैठे हैं"
                     (पहले पानी, फिर गन्ने का जूस, फिर cafe nandini - वैसे हम शायद ही 20 मिनट "बैठे" होंगे)

तभी अन्दर से एक आवाज़ - "Sir, तीसरा operator भी आ गया|"

ऋषभ     :      "कुछ भी कहें APSC, सरकारी नौकरी का अपना ही टशन है|"

6
12:10 बजे
"भैय्या, कौन सा नंबर चल रहा है?"
"अभी 17 नंबर चल रहा है"

नित्य      :       "चलो जल्दी जल्दी हो रहा है अब| यहाँ से फटाफट bike लेने जायेंगे|"

थोड़ी देर और इंतज़ार किया| इसी बीच मैं और जस्सी phone पर एक बाज़ी chess की खेल कर ख़त्म कर चुके थे|

"भैय्या कौन सा नंबर चल रहा है?
"अभी 16 चल रहा है"
"हैं??? अभी तो बोला था की 17 चल रहा है!!!"
"अरे गलती से गलत नंबर बता दिया था "

जस्सी ने computer room में डेरा दाल दिया|

ऋषभ     :       "नित्य, आज तो ना आ रही आपकी bike"

7
12:20 बजे
operator :       "Security, इन लोगों को समझ नहीं आ रहा है| इनको बोलो बहार जा के बैठें|
Security  :       "चलो भाई बहार जा के बैठो, यहाँ नहीं|"
जस्सी     :       "हम यहीं बैठ रहे हैं, इतनी देर से इंतज़ार कर रहे हैं| अब यहीं बैठेंगे| हमारा अभी आने वाला है"
operator (टांग खींचने के लहजे में)
               :       "हाँ हाँ, lunch के बाद तो इनका हो ही जाएगा|"
जस्सी (बैठे बैठे भी 6ft दिखायी देते हुए| कुछ देर पहले ही आये हुए नए operator की तरफ)
               :       "इनको तो मैं lunch के लिए जाने ही नहीं दूंगा|
Security   :       "नहीं नहीं sir, आप बैठिये कोई बात नहीं"

8
12:45 बजे
"नंबर 22"
जस्सी पहुंचा scanning के लिए
"नंबर 23"
नित्य पहुंचा scanning के लिए


ऋषभ      :       "APSC, आपको क्या लगता है की हम अब कौन सी सरकारी नौकरी कर                                                        
                       सकते हैं?
APSC     :       "Lecturer बन सकते हैं"
ऋषभ      :       "नहीं नहीं, उसमें तो PhD करनी पड़ेगी| Time लगेगा"
APSC     :       "IAS बन सकते हो"
ऋषभ      :        "हो गया!!"

Scanning के दौरान
अब क्यूंकि camera normal इंसानों के लगाया गया था, ज़ाहिर है जस्सी के लिए वो सही नहीं था| जस्सी का केवल कमर से गर्दन तक का ही फोटो आ पा रहा था
operator ने camera ठीक किया| चेहरा तो आया पर पगड़ी काटने लगी

जस्सी      :      "नहीं नहीं |पूरी फोटो आनी चाहिए|"
operator   :      "नहीं सर| अब तो मुश्किल है| कोशिश करता हूँ|"
                       "Sir, अपने details चेक कर लीजिये"

Details एक तरफ English और बगल में Telegu में लिखे हुए थे|
जस्सी (55 वर्षीय जांचकर्ता से)
                :      "Excuse me, क्या आप check कर सकते हैं की Telegu में ठीक है की नहीं?"
जांचकर्ता  :      "Sir, ठीक तो है|  क्या प्रॉब्लम है?"
जस्सी       :      "ये यहाँ English में '4th floor' लिखा है, वो यहाँ  Telegu में भी '4th floor' लिखा है!"

9
1:15 बजे
नित्य       :      "सालों, कल तुम सब मेरे साथ सुबह 9 बजे bike लेने चलोगे!!!!"

ऋषभ      :       "कुछ भी कहें APSC, सरकारी नौकरी का अपना ही टशन है|"

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